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मंटु, जो जम्बो हाथी का बेटा है, बड़ा हो गया है लेकिन कोई काम नहीं करता और दिनभर मटरगश्ती करता है। जम्बो उसे समझाने की कोशिश करता है लेकिन मंटु पर इसका कोई असर नहीं होता।
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एक दिन जम्बो गुस्से में मंटु को फटकारता है, जिससे मंटु को बुरा लगता है और वह चुपचाप जंगल में घूमने निकल जाता है।
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जंगल में घूमते हुए मंटु नदी के किनारे पहुंचता है और वहां उसे एक नाव दिखाई देती है। नाव को अकेला देखकर मंटु उसे चलाने की कोशिश करता है।
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मंटु को नाव चलाने में मजा आता है और धीरे-धीरे उसका डर भी दूर हो जाता है। वह नाव को इधर-उधर घुमाता है और समय का पता नहीं चलता।
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शाम होते ही मंटु थककर किनारे बैठ जाता है, तभी एक हंस उसे नदी के दूसरे किनारे पर छोड़ने की प्रार्थना करता है।
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हंस मंटु को पैसे देने की बात करता है, जिससे मंटु सहमत हो जाता है और हंस को नदी के दूसरे किनारे पर छोड़ देता है।
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हंस मंटु को दो सौ रुपये देता है, जिससे मंटु बहुत खुश होता है और वह जल्दी-जल्दी घर लौटता है।
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घर पहुंचकर मंटु अपने पिता जम्बो को अपनी कमाई के दो सौ रुपये देता है। जम्बो उसे एक नई नाव बनवाने का वादा करते हैं।
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जम्बो की मदद से मंटु नई नाव पाता है और जंगल के जानवरों को नदी पार करवाकर रोज पैसे कमाने लगता है।
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अब मंटु और जम्बो दोनों खुश हैं क्योंकि मंटु ने अपनी जिम्मेदारी समझ ली है और काम करने लगा है।
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