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सुन्दर बन्दर अपने पिता के साथ एक छोटे से जंगल में रहता था, जहाँ जनसंख्या कम थी और कोई स्कूल नहीं था। उसकी माँ बचपन में ही उसे छोड़ गई थी।
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सुन्दर बन्दर को पढ़ने का बहुत शौक था, इसलिए वह जंगल से दूर स्कूल में पढ़ने जाता था, जबकि बाकी जानवरों के बच्चे खेलकूद में लगे रहते थे।
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जंगल के राजा शमशेर सिंह पढ़ाई के खिलाफ थे, इसलिए वहाँ कोई स्कूल नहीं था। लेकिन सुन्दर बन्दर ने जंगल के अन्य जानवरों के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।
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धीरे-धीरे अन्य जानवरों के बच्चे भी सुन्दर बन्दर के पास पढ़ने आने लगे, जिससे उनकी संख्या बढ़ने लगी। इस पर शमशेर सिंह को गुस्सा आया और उन्होंने सुन्दर बन्दर के पिता को बुलाकर धमकी दी।
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शमशेर सिंह ने सुन्दर बन्दर को जंगल से निकाल दिया, लेकिन सुन्दर को विश्वास था कि शिक्षा का महत्व एक दिन सबको समझ में आएगा।
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एक दिन शमशेर सिंह ने देखा कि उनका बेटा शेर सिंह भी पढ़ाई कर रहा है, जिससे उन्हें एहसास हुआ कि शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है।
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शेर सिंह की पढ़ाई ने शमशेर सिंह पर गहरा प्रभाव डाला, और उन्हें महसूस हुआ कि उन्होंने सुन्दर बन्दर को जंगल से निकालकर गलती की है।
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शमशेर सिंह ने सुन्दर बन्दर से माफी मांगी और उसे वापस जंगल में आकर सबको शिक्षित करने के लिए कहा।
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सुन्दर बन्दर की शिक्षा की ज्योति ने अंततः शमशेर सिंह को भी प्रभावित किया, और उन्होंने शिक्षा का महत्व स्वीकार कर लिया।
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