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जंगल के राजा शेर ने आदेश दिया कि सभी जानवरों के बच्चों को स्कूल भेजा जाए ताकि कोई अनपढ़ न रहे, और सभी को स्कूल से सर्टिफिकेट मिलेगा।
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सभी जानवरों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजा, लेकिन हाथी, ऊँट, और जिराफ के बच्चे पेड़ पर चढ़ने में फेल हो गए और बंदर का बच्चा फर्स्ट आया।
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अपने बच्चों की असफलता पर हाथी, ऊँट और जिराफ ने उन्हें डांटा और पीटा, जबकि मछली की बेटी ने स्कूल में सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की।
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मछली की बेटी ने कहा कि उसका स्कूल तालाब में होना चाहिए, लेकिन उसकी माँ ने उसे राजा के स्कूल में ही पढ़ने का आदेश दिया।
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बूढ़े बरगद ने जानवरों को समझाया कि बच्चों को अपनी प्राकृतिक क्षमताओं के अनुसार काम करने देना चाहिए, न कि पेड़ पर चढ़ने की कोशिश में।
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बरगद की सलाह मानकर सभी जानवरों ने अपने बच्चों को उनकी प्राकृतिक क्षमताओं के अनुसार पढ़ाई करने दी, जिससे वे अपने-अपने क्षेत्रों में सफल हुए।
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हाथी, ऊँट और जिराफ के बच्चे अपनी लंबाई का फायदा उठाकर ऊँचे फलों को खाने लगे, जबकि मछली समुद्र में तैरने लगी।
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कहानी का संदेश है कि बच्चों की क्षमताओं को पहचानकर उन्हें उसी दिशा में आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए,
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न कि उन्हें जबरदस्ती कुछ करने पर मजबूर करना।
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