Read Full Story
एक घने जंगल में एक बड़े पेड़ पर बगुलों का परिवार रहता था, जो मछलियां पकड़कर खुशी-खुशी जीवन बिताते थे, लेकिन एक काला सांप उनके अंडे और बच्चों को खा जाता था, जिससे बगुले दुखी थे।
Read Full Story
एक बूढ़ा बगुला अपने बच्चों को खोने के गम में नदी किनारे बैठकर रो रहा था। तभी एक केकड़ा उसकी मदद करने के लिए आया और सांप से छुटकारा पाने की योजना सुझाई।
Read Full Story
केकड़े ने बगुले को सलाह दी कि वह मछलियों के टुकड़े सांप के बिल से नेवले के बिल तक बिछा दे, जिससे नेवला सांप को मार देगा।
Read Full Story
बगुले ने केकड़े की योजना के अनुसार मछलियों के टुकड़े बिछा दिए, और नेवला उन टुकड़ों को सूंघते हुए सांप के बिल तक पहुंचा और सांप को मार डाला।
Read Full Story
बगुला खुश हुआ कि अब उसका जीवन सुख-शांति से बीतेगा, लेकिन कहानी में मोड़ आया जब नेवला लालच में आकर बगुलों के घोंसलों में चढ़कर उनके बच्चों को खाने लगा।
Read Full Story
बगुला पछताने लगा और केकड़े के पास गया, जिसने उसे बताया कि बिना सोचे-समझे किसी की सलाह मानने का यह नतीजा है।
Read Full Story
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि किसी की सलाह मानने से पहले उसके परिणामों के बारे में सोच विचार करना चाहिए, अन्यथा परिणाम बगुले की तरह बुरा हो सकता है।
Read Full Story
जल्दबाजी और मूर्खता से कोई भी समस्या हल नहीं होती,
Read Full Story
इसलिए सोच-समझकर ही कोई कदम उठाना चाहिए।
Read Full Story