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दो गिलहरियाँ, सिल्लू और गिल्लू, जो बहुत शरारती और चतुर थीं, एक कुटिया के नीचे रहती थीं और चने और मक्का खाना पसंद करती थीं।
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जब उनके पास खाने का सामान कम हो जाता, तो वे पास के बगीचे में जाकर खाद्य पदार्थ ढूँढने की कोशिश करती थीं।
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एक दिन, वे रात के समय बगीचे के रोशनदान से अंदर घुस गईं और वहाँ बहुत सारे फल और रोटियाँ पाईं।
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सिल्लू और गिल्लू ने अंदर ही खाना खाने का निर्णय लिया, लेकिन बाहर निकलने में असफल रहीं और एक गहरे कुएं में फंस गईं।
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गहरे कुएं में फंसने के बाद, वे दही में तैर रही थीं और मक्खन की परत ने उन्हें घेर लिया था।
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गिल्लू ने सिल्लू को हिम्मत दी, जिससे दोनों ने तेजी से तैरना शुरू किया और मक्खन पर पैर टिक गया।
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मक्खन पर टिकने के बाद, वे बाहर निकलने में सफल रहीं और अपनी जान बचाई।
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उन्होंने सबक सीखा कि हिम्मत से ही रास्ता मिलता है और भविष्य में कभी चोरी नहीं करने का निर्णय लिया।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
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