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तोंदूमल हाथी को हर वक्त कुछ न कुछ खाने की बुरी आदत थी और वह हमेशा उधार लेकर खाता था, बिना पैसे चुकाए।
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तोंदूमल अपनी आदतों के कारण जंगल के छोटे जानवरों को डराकर उधार लेता था और दुकानदारों को पैसे चुकाने का वादा करता था।
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एक दिन तोंदूमल के पेट में दर्द हुआ और वह अस्पताल में भर्ती हो गया, जिससे दुकानदार चिंतित हो गए कि अगर वह मर गया तो उनके पैसे नहीं मिलेंगे।
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डॉक्टर जिराफ ने तोंदूमल के इलाज के लिए पाँच सौ रुपये की मांग की, जो सबने मिलकर इकट्ठे किए।
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तोंदूमल और जिराफ ने मिलकर सबको मूर्ख बनाया और रुपये आपस में बाँट लिए, लेकिन बाद में तोंदूमल को सच में पेट का दर्द हुआ।
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जब तोंदूमल डॉक्टर जिराफ के पास गया, तो पता चला कि वह नकली दवाइयाँ बेचते हुए पकड़ा गया और जेल में है।
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नए डॉक्टर भालूराम ने तोंदूमल को मेहनत करने की सलाह दी, जिससे उसकी सेहत में सुधार होगा।
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तोंदूमल ने मेहनत का काम शुरू किया और लकड़ियाँ ढोने लगा, जिससे उसने अच्छी मजदूरी कमाई।
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मेहनत से कमाए पैसे से तोंदूमल ने सभी दुकानदारों के उधार चुकाए और ईमानदारी से जीवन जीने का संकल्प लिया।
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डॉक्टर भालूराम ने तोंदूमल की मेहनत की सराहना की और उसे मिठाई खाने की इजाजत दी, जिससे तोंदूमल को मेहनत की अहमियत समझ में आई।
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