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बहुत समय पहले एक सरोवर में कई मेंढक रहते थे, जहां एक चिकना और ऊँचा धातु का खम्भा था जिसे राजा ने बनवाया था।
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मेंढकों ने एक रेस आयोजित की, जिसमें खम्भे पर चढ़कर ऊपर पहुँचने वाले मेंढक को विजेता घोषित किया जाना था।
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रेस के दिन बहुत भीड़ जमा हो गई और सभी मेंढक और दर्शक मानते थे कि खम्भे पर चढ़ना असंभव है।
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कई मेंढक कोशिश करते रहे लेकिन बार-बार गिरने के कारण वे हताश हो गए और हार मान ली।
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एक छोटा मेंढक बार-बार गिरने के बावजूद अपने प्रयास में लगा रहा और अंततः खम्भे के शीर्ष पर पहुँच गया, जिससे वह विजेता बना।
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सभी मेंढक उस छोटे मेंढक से उसकी सफलता का रहस्य जानना चाहते थे,
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लेकिन पता चला कि वह बहरा है।
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कहानी का संदेश यह है कि हमें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते समय नकारात्मकता और आलोचना पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
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यह प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि आत्मविश्वास और दृढ़ता से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
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