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एक हरे-भरे जंगल में एक कुंआ था, जहां बकरी पिंकी और लोमड़ी मीरा अक्सर मिलते थे। एक दिन मीरा ने पानी पीने के लिए कुएं में छलांग लगा दी और फंस गई।
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मीरा ने मदद के लिए चिल्लाना शुरू किया, जिसे सुनकर पिंकी वहाँ पहुँची। पिंकी ने मीरा से पूछा कि उसने इतनी बड़ी गलती क्यों की।
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मीरा ने बताया कि उसने खुद को बहुत चालाक समझा और बिना सोचे-समझे कुएं में कूद गई। पिंकी ने समझाया कि बिना सोचे-समझे काम करना खतरनाक हो सकता है।
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पिंकी ने एक योजना बनाई और जंगल से एक पेड़ की बेल लेकर आई। उसने कमलू हाथी दादा की मदद से बेल को कुएं में डाल दिया।
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मीरा ने बेल को अपने चारों तरफ लपेट लिया और कमलू हाथी दादा ने अपनी सूंड से बेल को खींचकर मीरा को कुएं से बाहर निकाल लिया।
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मीरा ने पिंकी और कमलू हाथी दादा का धन्यवाद किया और समझ गई कि बिना सोचे-समझे कदम उठाना खतरनाक हो सकता है।
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पिंकी ने मीरा को समझाया कि हमें हमेशा अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए
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सोच-समझकर ही काम करना चाहिए।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि बुद्धिमत्ता और दोस्ती से हम किसी भी मुश्किल परिस्थिति को पार कर सकते हैं।
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