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यह कहानी एक छोटे कछुए और उसकी बहन की है जो हिमाचल के एक हरे-भरे जंगल में रहते हैं। कहानी में नन्हा कछुआ डरपोक होता है, जबकि उसकी बहन कमठी साहसी और हिम्मती होती है।
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नन्हा कछुआ तूफान और बिजली से बहुत डरता है क्योंकि एक बार बिजली उसके कवच पर गिर गई थी, हालांकि वह बच गया था। इस डर का सामना करने में उसकी बहन कमठी उसकी मदद करती है।
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एक तूफानी रात में, कमठी नन्हा कछुए को झील तक चलने के लिए प्रेरित करती है, जिससे उसे अपने डर का सामना करने का साहस मिलता है।
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जंगल के अन्य जानवर नन्हा कछुए का मजाक उड़ाते हैं, लेकिन कमठी अपने छोटे भाई का समर्थन करती है और उन्हें समझाती है कि हर किसी को किसी न किसी चीज़ से डर लगता है।
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नन्हा कछुए को एक खूबसूरत कछुए की बच्ची, चमकी, से मुलाकात होती है, जिससे उसका डर कम हो जाता है और वह अपने कवच से बाहर आ जाता है।
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डर पर विजय पाने के बाद, नन्हा कछुआ और कमठी झील की ओर बढ़ते हैं और वहां चमकी से मिलते हैं, जिससे उनकी दोस्ती और गहरी हो जाती है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि डर होना कोई शर्म की बात नहीं है, लेकिन हिम्मत करके उसका सामना करना हमें और मजबूत बनाता है।
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माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वे अपने बच्चों को ऐसी प्रेरक कहानियां सुनाएं
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जो उन्हें डर का सामना करने और आत्मविश्वास बढ़ाने की प्रेरणा दें।
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