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कहानी "कंजूस गीदड़ की अनोखी सजा" एक प्रेरणादायक कथा है जो एक कंजूस गीदड़ के लालच और उसकी दुखद परिणति के बारे में है।
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कंजूस गीदड़, जिसे कंजूसू कहा जाता था, अपनी कंजूसी के लिए प्रसिद्ध था। वह शिकार को भी धीरे-धीरे खाता था और ज्यादा बचत करने की कोशिश करता था।
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एक दिन उसे बड़ा शिकार मिला, लेकिन वह मांस खाने के बजाय सींग चबाने लगा। गर्मी में मांस सड़ गया और गिद्धों ने सब खा लिया।
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जब जंगल में शिकारी आया और जंगली सुअर के साथ उसकी मुठभेड़ हुई, तो कंजूसू को दो शिकार मिले, लेकिन उसने मांस की बजाय धनुष की पट्टी खा ली।
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पट्टी काटते ही धनुष का कोना उसके मुंह में घुस गया और उसकी मौत हो गई। यह घटना जंगल के अन्य जानवरों के लिए एक सबक बन गई।
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शेर चाचा और अन्य जानवरों ने कहा कि कंजूसू की कंजूसी ने उसे मार डाला। यदि वह उदार होता, तो वह जीवित रहता।
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कंजूसू की मौत के बाद जंगल में बदलाव आया। उसका भतीजा उदार बन गया और शिकार को बांटने लगा, जिससे जंगल में खुशहाली आई।
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कहानी का संदेश यह है कि कंजूसी और लालच जीवन की खुशियाँ छीन लेते हैं। उदारता से जीवन में सुख और संतोष मिलता है।
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यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि बचत अच्छी है, लेकिन लालच नहीं। जो बांटते हैं, वही बढ़ते हैं।
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यह नैतिक कथा बच्चों के लिए प्रेरणादायक है और उन्हें उदारता और संतोष का महत्व सिखाती है।
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