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'खरगोश की चालाकी' कहानी में बताया गया है कि कैसे एक छोटे से खरगोश ने अपनी बुद्धिमानी से जंगल के जानवरों को एक खूंखार भेड़िये से बचाया।
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हरितवन नामक जंगल में गर्मी के कारण सभी जल स्रोत सूख गए थे, और एकमात्र बचा तालाब शेरू भेड़िये के कब्जे में था, जो जानवरों से बदले में भोजन की मांग कर रहा था।
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बंटी खरगोश ने देखा कि शेरू भेड़िये के आतंक के कारण जानवर प्यास से तड़प रहे थे, तो उसने अपनी बुद्धि का सहारा लिया।
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बंटी ने शेरू को एक दलदल के पास ले जाकर यह विश्वास दिलाया कि वहां एक और ताकतवर जानवर छुपा हुआ है।
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शेरू भेड़िये ने गुस्से में आकर छलांग लगाई और दलदल में फंस गया, जिससे वह खुद को बाहर नहीं निकाल सका।
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बंटी ने शेरू को उसकी घमंड के कारण फंसने पर ताना मारा, जिससे शेरू को अपनी गलती समझ आई।
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जंगल के जानवरों ने राहत की सांस ली और तालाब से पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई।
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बाद में, दयालु हाथियों ने शेरू को बचाया, लेकिन शर्त रखी कि वह जंगल छोड़कर चला जाएगा।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि बुद्धि बल से अधिक प्रभावी होती है और घमंड का अंत हमेशा बुरा होता है।
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बंटी की कहानी यह बताती है कि मुसीबत के समय घबराने की बजाय ठंडे दिमाग से सोचना चाहिए, जिससे कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलता है।
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