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यह कहानी दो दोस्तों की है जो बारिश के दिन अपने दफ्तर से लौटते समय एक बूढ़े सब्जीवाले से मिलते हैं, जिसकी सब्जियां खराब हो चुकी हैं और कोई उन्हें खरीदने को तैयार नहीं है।
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बूढ़ा आदमी अपने काँपते हाथों से सब्जियां बेचने की कोशिश करता है, लेकिन पहले दोस्त ने मना कर दिया। दूसरे दोस्त ने बिना कुछ कहे तीन बैग सब्जियों की खरीद ली।
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बूढ़े ने शर्मिंदगी से बताया कि बारिश के कारण सब्जियां खराब दिख रही हैं। सब्जी खरीदने वाले दोस्त ने दिल से बूढ़े की मदद करने का निर्णय लिया।
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जब पहले दोस्त ने सब्जी खरीदने वाले से पूछा कि वह इन सब्जियों का क्या करेगा, तो उसने बताया कि सब्जियां खाने लायक नहीं हैं और वह उन्हें फेंक देगा।
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सब्जी खरीदने वाले दोस्त ने यह भी कहा कि उसने सब्जियां इसलिए खरीदीं क्योंकि वह जानता था कि बूढ़े के पास आज के राशन के लिए पैसे नहीं होंगे।
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पहले दोस्त ने भी बूढ़े से बचे हुए सब्जियों के थैले खरीद लिए, जिससे बूढ़ा बहुत खुश हुआ और उसने कहा कि यह चमत्कार हो गया।
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बूढ़े की खुशी देखकर दोनों दोस्त मुस्कुराने लगे, और उन्होंने महसूस किया कि इन सब्जियों ने सबको कितनी खुशियाँ बाँटी।
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कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने अच्छे समय में दूसरों के बुरे समय में उनकी मदद करनी चाहिए,
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जैसे हम अपने बुरे समय में दूसरों से उम्मीद करते हैं।
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