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पिद्दी पहलवान, पदमश्री लाल, अपने दोस्त पुराणमल की दुकान पर बैठे थे, जहां उन्होंने रसगुल्ले खरीदने की इच्छा जताई लेकिन पैसे न होने के कारण नहीं खरीद पाए।
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पुराणमल ने पिद्दी पहलवान को रसगुल्ले बनाने की विधि बताई, जिसमें दूध को फाड़कर, मैदा मिलाकर गोलियां बनाना और घी में तलने के बाद चाशनी में डालना शामिल था।
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पहलवान ने घर जाकर खुद रसगुल्ले बनाने की कोशिश की, लेकिन दूध को कैंची से फाड़ने की कोशिश में असफल रहे।
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उनकी पत्नी और बेटे के जाने के बाद, पहलवान ने खटाई से दूध फाड़ा और पेट में ही रसगुल्ले बनाने की योजना बनाई।
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पहलवान ने दूध, मैदा, और चाशनी को पेट में डालकर रसगुल्ले बनाने का प्रयास किया, लेकिन परिणामस्वरूप उल्टी हो गई और पेट में दर्द होने लगा।
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जब उनकी पत्नी घर लौटी, तो उसने अपने भाई द्वारा भेजे गए रसगुल्ले पहलवान को दिए, जो उन्हें स्वादिष्ट लगे।
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पहलवान को अपने प्रयास की असफलता पर गुस्सा आया
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और उन्होंने पुराणमल की दुकान पर जाकर उसे लताड़ने का निर्णय लिया।
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यह कहानी हास्यपूर्ण तरीके से रसगुल्ले बनाने की असफल कोशिश और उसकी परिणति को दर्शाती है।
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