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निशु चूहा अपनी शैतानियों की वजह से बिल्लियों को डराने में सफल हो गया था। उसने बिल्लियों के साथ कई बार खिलवाड़ किया और हर बार बच निकलता था।
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एक बार निशु ने मोटी बिल्ली की पीठ पर सवार होकर उसे थका दिया और आराम से अपने बिल में चला गया, जिससे बिल्लियों की चिंता बढ़ गई।
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बिल्लियों ने निशु की शैतानियों से निपटने के लिए एक सभा आयोजित की, जिसमें वे उसे पकड़ने की योजना बनाने लगीं।
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बिल्लियों ने सोचा कि निशु के गले में घंटी बांध दी जाए, ताकि उसकी हरकतों का पता चल सके, लेकिन कोई भी बिल्ली यह जोखिम उठाने को तैयार नहीं थी।
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अगले दिन एक पत्र मिला जिसमें इशु चूहे ने बिल्लियों को निशु के गले में घंटी बांधने की पेशकश की, लेकिन इसके लिए उसने सौ रूपए की मांग की।
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इशु ने कहा कि निशु को अंधविश्वास की वजह से घंटी पहनने के लिए राज़ी किया जा सकता है, यदि उसे गणेश जी की कृपा का भरोसा दिलाया जाए।
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मंगलवार को बिल्लियों ने सौ रूपए पत्थर पर रख दिए और निशु को घंटी पहनते देखने का इंतजार करने लगीं।
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निशु ने चालाकी से खुद ही इशु बनकर पत्र लिखा था और बिल्लियों को कीचड़ में गिरा दिया। वह सौ रूपए लेकर भाग गया और बिल्लियों को मूर्ख बना दिया।
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बिल्लियों ने महसूस किया कि निशु से पार पाना आसान नहीं है और उन्हें वह इलाका छोड़ने की बात करनी पड़ी।
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