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कहानी की शुरुआत चीकू खरगोश के हाथी के ढाबे पर चाय पीने जाने से होती है, जहाँ वह हाथी एनी से मिलता है।
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चीकू कहता है कि वह अपने खजाने को लेने जा रहा है और इसके लिए उसे कुछ जानवरों की मदद चाहिए। यह सुनकर कानू भैंसा और ननकू बंदर उसकी मदद के लिए तैयार हो जाते हैं।
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कानू और ननकू ठग होते हैं और चीकू से खजाना छीनने की योजना बनाते हैं, लेकिन चीकू अपने रास्ते पर चलता रहता है।
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चीकू उन्हें एक खेत में ले जाता है जहाँ गेहूं के बोरे पड़े होते हैं और कहता है कि यही असली खजाना है क्योंकि अन्न ही जीवन का आधार है।
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कानू और ननकू चौंक जाते हैं और चीकू पर असली खजाना छिपाने का आरोप लगाते हैं, लेकिन चीकू अपनी बात पर अडिग रहता है।
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जब भैंसा चीकू पर हमला करने की कोशिश करता है, तो हाथी एनी बीच में आ जाता है और भैंसे को रोक देता है।
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एनी हाथी कहता है कि वह पहले से ही कानू और ननकू की नीयत पर शक कर रहा था और इसलिए उनका पीछा कर रहा था।
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अंत में, कानू और ननकू अपनी गलती मानते हैं और चीकू से माफी मांगते हैं। वे खेत में काम करने का मौका मांगते हैं और एनी हाथी उन्हें यह मौका देने की सिफारिश करता है।
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एनी हाथी एक प्रतियोगिता की घोषणा करता है जिसमें बोरे चीकू के घर पहुंचाने वाले को मुफ्त में चाय मिलेगी, जिससे सभी खुशी-खुशी भागने लगते हैं।
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इस कहानी के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि अन्न ही असली खजाना है और मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।
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