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कहानी में छठी कक्षा के गणित शिक्षक की परीक्षा परिणाम के साथ कक्षा में प्रवेश का वर्णन है, जहां सभी छात्र उनके आदेश पर खड़े होते हैं और फिर बैठ जाते हैं।
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शिक्षक द्वारा अकबर नामक छात्र की प्रशंसा की जाती है, क्योंकि उसने गणित में सौ में से सौ अंक प्राप्त किए हैं, जिससे अन्य छात्रों को प्रेरणा लेने की सलाह दी जाती है।
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अकबर के गणित में अव्वल आने पर कुछ छात्रों जैसे नयन, परेश और जमील को जलन होती है, क्योंकि उनके अंक काफी कम हैं और वे परीक्षा में चोरी भी करते हैं।
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छुट्टी के बाद, नयन, परेश और जमील अकबर को अकेला पाकर उसे नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं और उससे परीक्षा में चोरी करने का तरीका जानने की कोशिश करते हैं।
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अकबर यह कहकर इंकार करता है कि उसने कभी परीक्षा में चोरी नहीं की और वह गणित के सभी सवाल अच्छे से हल कर सकता है।
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स्थिति को समझते हुए, अकबर उन्हें गणित का एक जादू दिखाने का वादा करता है, जिससे वह एक रुपये को एक पैसे के बराबर साबित कर सकता है।
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अकबर अपनी गणितीय तर्क से उन्हें आश्चर्यचकित कर देता है, जिससे तीनों छात्रों को यह महसूस होता है कि अकबर ने उन पर जादू कर दिया है।
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इस घटना के बाद, तीनों छात्र अकबर के दोस्त बन जाते हैं और गणित में उनकी रुचि बढ़ जाती है, मेहनत से सीखने का महत्व समझते हैं।
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कहानी के माध्यम से मेहनत और ईमानदारी की शिक्षा दी जाती है, साथ ही यह भी दिखाया गया है कि सही दृष्टिकोण से नकारात्मक भावनाओं को सकारात्मकता में बदला जा सकता है।
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