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कहानी "असली पूजा" का मुख्य पात्र धनिया एक गरीब बच्चा है, जिसके पास न तो घर है और न ही पहनने के लिए वस्त्र हैं। वह कॉलोनी के लोगों के छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा करता है।
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एक दिन धनिया को नदी किनारे लक्ष्मी जी की मूर्ति मिलती है। उसे लगता है कि यह मूर्ति उसकी गरीबी दूर करेगी और वह दिन-रात उसकी पूजा में लग जाता है।
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पूजा में समय बिताने के बावजूद धनिया की आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं होता। वह सोचता है कि अगर उसने मेहनत की होती तो उसकी हालत बेहतर होती।
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धनिया समझ जाता है कि मेहनत ही सच्ची पूजा है। वह अपने भविष्य को सुधारने के लिए पढ़ाई करने का निर्णय लेता है और सरकारी स्कूल में दाखिला लेता है।
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पढ़ाई में मेहनत करने से धनिया कक्षा का सबसे अच्छा विद्यार्थी बन जाता है। उसकी फीस भी माफ हो जाती है और शिक्षक उसे बहुत स्नेह करते हैं।
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समय के साथ धनिया अपनी पढ़ाई में लगातार आगे बढ़ता है और छोटी कक्षा के बच्चों को ट्यूशन देना शुरू करता है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगती है।
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अंततः धनिया एमएस.सी. कर लेता है और एक कोचिंग सेंटर खोलता है। उसकी मेहनत और समर्पण से उसके सपने साकार होते हैं और वह एक अच्छे घर में रहने लगता है।
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कहानी यह संदेश देती है कि मेहनत और समर्पण से ही सच्ची सफलता मिलती है
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लक्ष्मी मेहनती लोगों को ही पसंद करती हैं, जो अपने पुरूषार्थ पर विश्वास रखते हैं और अपने सपनों को सच करते हैं।
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