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एक कबीला ऊंचे पहाड़ों के बीच स्थित था, जहां लोग लकड़ी की मूर्तियाँ बनाकर जीवनयापन करते थे। कबीले में कोई भी वृद्ध नहीं था क्योंकि वृद्धों को कबीला छोड़ना पड़ता था।
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कबीले की विचित्र परंपरा के अनुसार, किसी व्यक्ति के बूढ़ा होने पर उसे 'बूढ़ी घाटी' में छोड़ दिया जाता था, जहां वे जंगली फलों पर निर्भर रहते थे।
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राका नामक युवक अपनी बूढ़ी मां को 'बूढ़ी घाटी' में छोड़ने के लिए मजबूर हो गया था, लेकिन वह ऐसा करने में असमर्थ था क्योंकि उसकी मां ने उसके जीवन में कई संघर्षों में उसका साथ दिया था।
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सरदार बलवंत सिंह ने राका को सजा देने की धमकी दी और खुद राका की मां को 'बूढ़ी घाटी' में छोड़ने के लिए ले गया।
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पहाड़ पर चढ़ते समय, सरदार को सांप ने काट लिया और उसकी हालत बिगड़ गई। राका की मां ने उसे बचाया और उसकी देखभाल की।
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सरदार की जान बचाने के बाद, उसने महसूस किया कि बुजुर्गों का अनुभव महत्वपूर्ण है और उनकी अनदेखी करना एक बड़ी भूल थी।
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इस घटना के बाद, कबीले ने अपनी परंपरा बदल दी और अब वृद्ध लोगों को सम्मान के साथ रखा जाने लगा।
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कहानी हमें बुजुर्गों के अनुभव और ज्ञान की अहमियत को समझने की प्रेरणा देती है और यह दिखाती है
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कि पारंपरिक नियमों को मानवता और सहानुभूति के आधार पर बदलना संभव है।
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