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एक प्रसिद्ध जर्मन उद्योगपति, जैकब ने एक चित्रकार से अपना तैलचित्र बनवाया, जिसकी कीमत 1000 सिक्के थी, लेकिन जैकब ने इसे महंगा समझकर अस्वीकार कर दिया।
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चित्रकार ने जैकब से एक कागज पर लिखवा लिया कि यह चित्र उनसे बिल्कुल नहीं मिलता, जो बाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
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जब जैकब के कई मित्रों ने उन्हें "रॉयल हाउस" में लगी प्रदर्शनी में जाने की सलाह दी, तो उन्होंने वहां जाकर देखा कि उनका तैलचित्र "जर्मनी का सबसे बड़ा चोर" के रूप में प्रदर्शित किया गया है।
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चित्र के शीर्षक को देखकर जैकब नाराज हो गए और मानहानि का दावा करने की धमकी दी, लेकिन प्रदर्शनी के मैनेजर ने उन्हें वही नोट दिखाया जो उन्होंने पहले लिखा था।
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मैनेजर ने सुझाव दिया कि जैकब को अपना चित्र खरीद लेना चाहिए, जिसकी कीमत अब 5000 सिक्के हो चुकी थी।
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जैकब ने आखिरकार 5000 सिक्के देकर चित्र खरीद लिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि चित्रकार की चतुराई ने उन्हें पराजित कर दिया।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि चतुराई और समझदारी से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।
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कभी-कभी हमारी अपनी प्रतिक्रियाएं हमारे निर्णयों को बदल सकती हैं,
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जैसा कि इस कहानी में जैकब के साथ हुआ।
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