जंगल की कहानी : गधेपन की हरकत

Jun 16, 2025, 12:36 PM

गधेपन की हरकत

कालू सियार नदी पर गुस्सा कर रहा था क्योंकि उसे कई दिनों से केकड़े नहीं मिल रहे थे और उसे शक था कि नदी ने केकड़ों को छिपा लिया है।

गधेपन की हरकत

कालू ने बदला लेने के लिए नदी में काला रंग डाल दिया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ और नदी वैसी ही चमचमाती बहती रही।

गधेपन की हरकत

कालू ने लाल और पीला रंग भी डाला, लेकिन ये भी नदी पर कोई प्रभाव नहीं डाल सके और सभी रंग नदी के पानी में घुल गए।

गधेपन की हरकत

गुस्से में कालू ने अपने सिर के बाल नोंच लिए, लेकिन एक बूढ़े मगरमच्छ ने उसे समझाया कि नदी ने उसका कुछ नहीं बिगाड़ा है।

गधेपन की हरकत

मगरमच्छ ने कालू को बताया कि उसने सारे केकड़े खा लिए हैं और बचा-खुचा केकड़ा उससे डरता है।

गधेपन की हरकत

कालू ने मगरमच्छ की बात अनसुनी कर दी और बचा-कुचा रंग भी नदी में फेंक दिया, जिस पर मगरमच्छ हँस पड़ा।

गधेपन की हरकत

मगरमच्छ ने कालू को सुझाव दिया कि वह अपना मुंह नदी में धो ले, नहीं तो जंगल के जानवर उसे देखकर हँसेंगे।

गधेपन की हरकत

अंत में, कालू को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने समझा कि नदी सभी जीवों का ख्याल रखती है और उसे गंदा करना गलत था।

गधेपन की हरकत

कालू ने माना कि वह अपने स्वार्थ के कारण नदी को गंदा कर रहा था और उसे उसके कृत्य पर शर्मिंदगी महसूस हुई।

गधेपन की हरकत

कहानी से यह सिखने को मिलता है कि हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिए और प्रकृति की सुंदरता और उपयोगिता का सम्मान करना चाहिए।