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कछुए अपनी दीर्घायु के लिए जाने जाते हैं, कुछ प्रजातियाँ 150 साल से भी अधिक समय तक जीवित रह सकती हैं। यह उनके धीमे मेटाबोलिज्म, प्राकृतिक सुरक्षा, धीमी गति और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण संभव है।
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कछुओं का मेटाबोलिज्म धीमा होता है, जिससे उनकी ऊर्जा की खपत कम होती है और कोशिकाओं की टूट-फूट धीमी होती है, जो उनकी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है।
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उनकी कठोर कवच उन्हें शिकारियों से बचाता है, जिससे उनकी जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।
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एल्डाब्रा जाइंट टॉर्टोइज़ और गलापागोस टॉर्टोइज़ जैसी प्रजातियाँ 150 से 200 साल तक जीवित रह सकती हैं। "जोनाथन" और "हैरियट" जैसे कछुए इसके जीवंत उदाहरण हैं।
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कछुओं का आहार मुख्य रूप से शाकाहारी होता है, जिसमें पत्तेदार सब्ज़ियाँ, फल, घास और फूल शामिल हैं। उनका प्राकृतिक आहार उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
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कछुए कम भोजन करते हैं और तनावमुक्त जीवन जीते हैं, जिससे उनकी ऊर्जा बचती है और वे अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं।
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जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आवासों के नुकसान से कछुओं की कई प्रजातियाँ संकट में हैं। समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण और जंगलों की कटाई उनके जीवन को प्रभावित कर रही है।
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कछुओं की संरक्षण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं जैसे संरक्षित क्षेत्र बनाना, प्लास्टिक कचरे को कम करना और अवैध व्यापार को रोकना।
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कछुओं की दीर्घायु का रहस्य उनके जीवनशैली और पर्यावरणीय परिस्थितियों में छिपा है। यदि उन्हें जलवायु परिवर्तन और अवैध व्यापार से बचाया जाए, तो वे धरती पर हजारों साल तक जीवित रह सकते हैं।
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