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नन्हा नामक कछुआ एक सुंदर तालाब के किनारे रहता था और उसका मजबूत कवच उसे हर खतरे से बचाता था।
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एक दिन नन्हा ने महसूस किया कि उसका कवच भारी हो गया है और उसने इसे उतारने का फैसला किया, यह सोचकर कि वह अब ताकतवर हो गया है।
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बिना कवच के घूमते समय, नन्हा को हिरणों के झुंड से चोट लग गई, जिससे उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
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चोटिल होने के बाद, नन्हा ने महसूस किया कि उसका कवच उसकी असली ताकत है और उसे तुरंत वापस पहन लिया।
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नन्हा ने अपने अनुभव से सीखा कि प्रकृति द्वारा दिए गए उपहारों का सम्मान करना चाहिए और अपनी कमजोरियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि हमें अपनी प्राकृतिक खूबियों का सम्मान करना चाहिए
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और उन्हें बेकार नहीं समझना चाहिए।
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नन्हा ने अपनी कहानी अपने दोस्तों को सुनाई, जिससे सभी ने उसकी हिम्मत की तारीफ की और इस अनुभव से सीखने की प्रेरणा ली।
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यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि अपनी ताकत और प्राकृतिक उपहारों का सम्मान करना कितना महत्वपूर्ण है ताकि हम मुसीबतों से बच सकें।
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