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एक शांत झील के किनारे मेघनाद नामक एक समझदार कछुआ रहता था जो अपनी दिनचर्या में झील से बाहर निकलकर टहलना पसंद करता था।
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एक दिन, जब मेघनाद धूप सेंक रहा था, एक भूखी लोमड़ी चंचला ने उसे देखा और सोचा कि वह उसका भोजन बन सकता है।
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चंचला ने मेघनाद को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन कछुए के सख्त खोल ने उसे बचा लिया। मेघनाद ने अपनी चतुराई का इस्तेमाल कर चंचला को झील में डालने के लिए मना लिया।
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पानी में पहुँचकर मेघनाद ने चंचला को धोखा देकर पानी में गोता लगाया और सुरक्षित बच निकला।
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चंचला को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने मेघनाद से दोस्ती करने का प्रस्ताव रखा, जिसे मेघनाद ने स्वीकार कर लिया।
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दोनों ने यह समझौता किया कि चंचला मेघनाद को नुकसान नहीं पहुँचाएगी और बदले में मेघनाद ने उसे झील के पास फल और जामुन खाने का न्योता दिया।
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इस घटना के बाद, जंगल में उनकी दोस्ती की कहानी मशहूर हो गई और छोटे जानवरों ने इसे प्रेरणादायक माना।
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जंगल के राजा हिरण ने मेघनाद को उसकी बुद्धिमानी के लिए सम्मानित किया, जिससे यह संदेश गया कि सही समय पर बुद्धि का इस्तेमाल खतरे से बचा सकता है।
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कहानी यह सिखाती है कि दुश्मनी को दोस्ती में बदलने से जीवन अधिक खुशहाल और आसान हो सकता है।
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यह कहानी बच्चों को प्रेरित करती है कि चतुराई और समझदारी से जीवन के कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है।
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