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रामू काका एक मेहनती किसान थे, जिनकी गाय-भैंसें बहुत दूध देती थीं, जिससे उनकी कमाई बढ़ रही थी और उनका जीवन खुशहाल था।
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रामू काका की समस्या एक बिल्ली थी, जो उनकी रसोई में घुसकर दूध पी जाती थी, जिससे वह बहुत परेशान थे।
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गुस्से में आकर रामू काका ने बिल्ली को सबक सिखाने के लिए उसे बोरी में फँसाकर आग लगा दी, जिससे बिल्ली भागते-भागते पूरे गाँव में आग फैला दी।
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आग ने गाँव की झोपड़ियों, खेतों और यहाँ तक कि रामू काका के घर को भी जला डाला, जिससे रामू काका को अपनी गलती का पछतावा हुआ।
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गाँव के लोग रामू काका से नाराज थे क्योंकि उनकी एक छोटी सी गलती ने पूरे गाँव को नुकसान पहुँचाया।
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रामू काका ने अपनी गलती के लिए माफी माँगी और गाँव के पुनर्निर्माण में मदद करने का वादा किया।
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इस घटना से रामू काका ने सीखा कि गुस्से में किए गए फैसले हमेशा नुकसानदेह होते हैं।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि हमें गुस्से में कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए और हमेशा सोच-समझकर फैसले लेने चाहिए।
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यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि गुस्से पर काबू पाकर ही हम सही निर्णय ले सकते हैं और पछतावे से बच सकते हैं।
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