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एक बगीचे में एक आम का पेड़ था, जो मीठे आमों से लदा रहता था। एक दिन एक गरीब बच्चा भूख के कारण पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगा।
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पेड़ ने बच्चे को रोने से मना किया और अपने मीठे आम तोड़कर खाने को कहा, जिससे बच्चा खुश हो गया और रोज़ पेड़ के पास आने लगा।
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धीरे-धीरे दोनों में गहरी दोस्ती हो गई, लेकिन कुछ समय बाद बच्चा वहां आना बंद कर दिया, जिससे पेड़ उसका इंतजार करता रहा।
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कई महीनों बाद बच्चा वापिस आया और बताया कि वह स्कूल में दाखिला लेना चाहता है लेकिन पैसे नहीं हैं। पेड़ ने उसे सारे आम तोड़कर बेचने और स्कूल में दाखिला लेने की सलाह दी।
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बच्चा आम बेचकर चला गया और कई सालों तक नहीं लौटा। पेड़ उसके इंतजार में सूख गया।
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सालों बाद बच्चा जवान होकर आया और घर बनाने के लिए पैसे की जरूरत बताई। पेड़ ने उसे अपनी डालियाँ काटकर बेचने को कहा, जिससे पेड़ और सूख गया।
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कई सालों बाद एक बूढ़ा व्यक्ति पेड़ के पास आया, जिसने खुद को वही बच्चा बताया। पेड़ ने कहा कि अब उसके पास देने के लिए कुछ नहीं बचा।
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बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि वह अब कुछ लेने नहीं, बल्कि पेड़ के साथ बात करने और स्नेह पाने आया है।
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इस स्नेह से पेड़ में फिर से पत्ते उगने लगे और वह हरा-भरा हो गया। दोनों की खुशियों में हरियाली लौट आई।
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इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे माता-पिता हमेशा हमारा भला चाहते हैं और हमें उन्हें खुश रखना चाहिए।
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