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यह कहानी एक गांव के चरवाहे और उसके आलसी बेटे की है, जो पढ़ाई में रुचि नहीं रखता था और स्कूल जाने के बहाने इधर-उधर घूमता रहता था।
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एक दिन बेटे ने रास्ते में एक दूधवाले से मुलाकात की, जिसने उसे बताया कि वह अनाथ होने के कारण पढ़ाई नहीं कर सका, लेकिन मेहनत से खुशहाल जीवन जी रहा है।
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यह सुनकर लड़के ने भी बिना मेहनत के अमीर बनने के सपने देखने शुरू कर दिए और दूध बेचकर पैसे कमाने की योजना बनाई।
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उसने अपनी मां से कुछ पैसे लेकर दूध खरीदा और अमीर बनने के ख्याली पुलाव पकाने लगा, जिसमें मुर्गियां खरीदना और अंडों का व्यापार करना शामिल था।
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लड़के ने सपने में देखा कि वह अमीर बनकर अपनी झोपड़ी की जगह महल बनाएगा, लेकिन जोश में आकर उसने दूध की हांडी पटक दी, जिससे सारा दूध बह गया।
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इस घटना से लड़के का सपना टूट गया और वह खाली हाथ रह गया,
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जिससे उसे सीख मिली कि ख्याली पुलाव पकाने से कुछ हासिल नहीं होता।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए केवल सपने देखना काफी नहीं है; मेहनत और पढ़ाई भी जरूरी है।
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यह कहानी बच्चों को यह सीख देती है कि बिना मेहनत के केवल कल्पनाओं में खोए रहने से कुछ हासिल नहीं होता।
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