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कहानी 'महामूर्ख की कहानी: खयाली पुलाव' धनीराम नामक व्यक्ति की है, जो बिना मेहनत के सपने देखने में विश्वास रखता है।
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धनीराम गाँव के लोग उसे 'महामूर्ख' कहते थे क्योंकि वह मेहनत की बजाय हवाई महल बनाने में यकीन रखता था।
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एक दिन धनीराम को मेहनत के बदले एक घड़ा दूध मिला, जिसे बेचकर अमीर बनने के सपने देखने लगा।
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उसने सोचा कि दूध बेचकर अंडे खरीदेगा, उनसे चूजे और फिर मुर्गियाँ पालेगा, और एक बड़ा पोल्ट्री फार्म खोलेगा।
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धनीराम ने आगे सपने देखने शुरू किए कि वह गाय और भैंस खरीदेगा और एक आलीशान महल बनाएगा।
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उसकी कल्पनाएँ इतनी बढ़ गईं कि वह शादी और बच्चों के बारे में सोचने लगा।
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ख्यालों में खोया धनीराम सड़क पर गिर पड़ा और दूध का घड़ा टूट गया, जिससे उसका सपना भी चूर-चूर हो गया।
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कहानी का नैतिक संदेश है कि केवल सपने देखने से कुछ नहीं होता, सफलता के लिए मेहनत और वर्तमान में जीना जरूरी है।
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धनीराम की कहानी भारतीय लोककथा के चरित्र शेखचिल्ली से प्रेरित है, जो अपनी मूर्खता और हवाई किले बनाने के लिए जाना जाता है।
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यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि योजना बनाना अच्छी बात है, लेकिन उसे हकीकत में बदलने के लिए मेहनत करना जरूरी है।
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