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खींचू खटमल और रिंकी चींटी के बीच गहरी दोस्ती थी, और वे एक साधारण से घर में रहते थे। खींचू खटमल बूढ़े मकान मालिक की चारपाई में आराम करता था, जबकि रिंकी चींटी अपने बिल में रहती थी।
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रिंकी चींटी दिनभर अपने खाने की तलाश में रहती थी और शाम को वापस लौटती थी। वहीं, खींचू खटमल दिनभर सोता था और रात को रिंकी से बातें करता था।
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एक दिन खींचू खटमल ने रिंकी चींटी का मजाक उड़ाया, यह कहते हुए कि उसका जीवन व्यर्थ है क्योंकि उसे खाना ढूंढ़ना पड़ता है, जबकि खींचू को आराम से खाना मिलता है।
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रिंकी चींटी ने खींचू की बातों का जवाब देते हुए कहा कि खून पीना अच्छा नहीं है और उसे बूढ़े पर दया आती है, लेकिन खींचू ने अपनी आदत पर गर्व किया।
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रिंकी ने खींचू को चुनौती दी कि अगर वह सच में बहादुर है, तो बूढ़े के बेटे की चारपाई पर जाकर उसका खून पीकर दिखाए।
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खींचू खटमल ने चुनौती स्वीकार की और रात में मकान मालिक के बेटे की चारपाई पर जाकर खून पीने की कोशिश की।
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लड़के ने खींचू को पकड़ लिया और डंडे से मारकर उसकी जान ले ली। खींचू खटमल का अंत हो गया।
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रिंकी चींटी ने खींचू के घमंड को उसकी मौत का कारण माना
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और सोचा कि घमंड कभी किसी का भला नहीं करता।
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