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परी एक प्यारी लेकिन गुस्सैल लड़की थी, जिसका गुस्सा सबको परेशान करता था। उसकी मां उसे गुस्सा न करने की सलाह देती थीं, लेकिन परी पर इसका कोई असर नहीं होता था।
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एक दिन परी का छोटा भाई गलती से एक फूलों का पॉट तोड़ देता है, जिससे परी का गुस्सा भड़क जाता है और वह भाई पर चिल्लाती है।
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परी की मां उसे एक आईना दिखाती हैं, जिससे परी को पता चलता है कि गुस्से में उसका चेहरा कैसे बिगड़ जाता है और वह खुद को पहचान नहीं पाती।
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परी को एहसास होता है कि गुस्सा उसकी खूबसूरती और मन की शांति छीन लेता है। वह समझती है कि गुस्सा इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी है।
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परी ने गुस्से को छोड़ने का फैसला किया और अगली बार जब उसका भाई गलती से उसकी किताब का पेज फाड़ देता है, तो वह शांत रहती है।
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परी की मां उसकी इस बदलाव पर गर्व महसूस करती हैं और उसे सच्ची जीत बताती हैं।
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धीरे-धीरे परी का स्वभाव बदलने लगता है और वह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा नहीं करती। इसका सकारात्मक असर उसके दोस्तों और परिवार पर भी पड़ता है।
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परी ने आईने को एक सच्चे दोस्त के रूप में अपनाया, जो उसे शांत रहने की याद दिलाता है। वह अब खुद से कहती है कि "आईना कभी झूठ नहीं बोलता।"
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि गुस्सा इंसान की कमजोरी है और रिश्तों को खराब कर सकता है। गुस्से को शांत चित्त से हराना ही सच्चा साहस है।
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