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मोनू, जंगल का सबसे शरारती बंदर, को खेलते समय एक चमकता हुआ इंद्रधनुषी पत्थर मिला, जिससे वह बहुत खुश हुआ और खुद को सबसे अनोखा महसूस करने लगा।
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मोनू ने अपने दोस्तों को पत्थर दिखाया, जिससे वे प्रभावित हुए, लेकिन मोनू ने पत्थर को लेकर स्वार्थी व्यवहार करना शुरू कर दिया और उसे किसी के साथ साझा नहीं करना चाहा।
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जब जप्पू खरगोश ने मोनू से पत्थर देखने की इच्छा जताई, तो मोनू ने मना कर दिया, जिसके कारण उसके दोस्त उससे दूर होने लगे।
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मोनू का व्यवहार उसके दोस्तों को पसंद नहीं आया और धीरे-धीरे उन्होंने उसके साथ खेलना छोड़ दिया, जिससे मोनू अकेला महसूस करने लगा।
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कुछ दिनों बाद, मोनू को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने पत्थर के कारण अपने दोस्तों को खो दिया है।
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मोनू ने जप्पू से माफी मांगी और फिर से दोस्त बनने की इच्छा जताई, जिसे जप्पू ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।
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जप्पू ने मोनू को बताया कि सच्ची खुशी दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने में है, न कि अकेले में गर्व महसूस करने में।
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इस घटना के बाद, मोनू ने अपने पत्थर और खुशी को अपने दोस्तों के साथ साझा करने का निर्णय लिया और वह फिर से खुश रहने लगा।
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कहानी से सीख मिलती है कि खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका है अपने दोस्तों के साथ साझा करना और गर्व से दूर रहना।
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