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मोनू, एक 12 वर्षीय बच्चा, जिसे 'मोनू जीनियस' कहा जाता है, ने मेगासिटी की सबसे बड़ी समस्या, कूड़े के पहाड़, को अपनी चतुराई और टेक्नोलॉजी के ज्ञान से हल किया।
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मोनू का असली लगाव विज्ञान और टेक्नोलॉजी में था, और उसने पुराने गैजेट्स और सर्किट्स से अपने लिए एक छोटी लैब तैयार की थी।
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मेगासिटी में बढ़ते कूड़े के पहाड़ से प्रदूषण और बीमारियां बढ़ रही थीं, लेकिन नगर निगम इसे हल करने में असमर्थ था।
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मोनू ने 'प्रदूषण-रोधी-गेंद' (APS) नामक एक सस्ता सिस्टम विकसित किया, जो अल्ट्रासोनिक सेंसर की मदद से केवल भरे हुए कूड़ेदानों की जानकारी देता था।
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इस स्मार्ट सिस्टम ने कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों की अनावश्यक आवाजाही को कम किया, जिससे डीज़ल की बचत और प्रदूषण में कमी आई।
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मोनू ने अपनी खोज को ज़िला अधिकारी मीनाक्षी वर्मा के सामने प्रस्तुत किया, जिन्होंने इसे शहर के 200 कूड़ेदानों में लागू करने का निर्णय लिया।
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मोनू की 'प्रदूषण-रोधी-गेंद' योजना ने कूड़ा उठाने की लागत 30% तक कम कर दी और शहर में महत्वपूर्ण बदलाव लाया।
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मोनू ने कूड़े के ढेर पर काम करने वाले लोगों के लिए एक और रोबोट बनाया, जो धातु के टुकड़ों को अलग करता था, जिससे उनका काम आसान हो गया।
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मोनू को 'मेगासिटी का पर्यावरण हीरो' का ख़िताब मिला, और उसने दिखाया कि असली जीनियस वह है जो समाज की समस्याओं को हल करने के लिए अपने ज्ञान का उपयोग करता है।
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यह कहानी सिखाती है कि सही ज्ञान और रचनात्मक सोच से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं, भले ही संसाधन सीमित हों।
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