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एक छोटे से राज्य में एक निर्दयी मालिक अपने गुलाम को दिन-रात काम करवाता और उसे ठीक से खाने-पीने तक नहीं देता था, जिससे गुलाम थक चुका था और अपनी आजादी की उम्मीद खो बैठा था।
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एक दिन गुलाम ने अपने मालिक के चंगुल से भागने का फैसला किया और रात के अंधेरे में जंगल की ओर भाग गया। हालांकि जंगल खतरों से भरा था, उसने खुद को आजाद महसूस किया।
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जंगल में भटकते हुए, गुलाम ने एक शेर को देखा, जिसके पंजे में कांटा फंसा था। गुलाम ने डर के बावजूद साहस दिखाया और शेर की मदद की, जिससे शेर ने राहत महसूस की।
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कुछ दिनों बाद, गुलाम को उसके मालिक ने पकड़ लिया और उसे भूखे शेर के सामने डालने का आदेश दिया, ताकि उसे सजा दी जा सके।
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जब गुलाम को शेर के सामने डाला गया, तो वह डर से कांप रहा था, लेकिन शेर ने उसे पहचान लिया। यह वही शेर था, जिसकी उसने मदद की थी।
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शेर ने गुलाम पर हमला नहीं किया, बल्कि उसके निर्दयी मालिक पर झपट पड़ा और उसे खत्म कर दिया।
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शेर ने गुलाम को उसकी दया और साहस का फल दिया, जिससे गुलाम अब आजाद था और उसने जंगल में रहने का फैसला किया।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि दया और मदद का फल हमेशा अच्छा होता है और जो हम दूसरों को देते हैं,
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वह किसी न किसी रूप में हमें वापस मिलता है।
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