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दामोदर एक हॉकी खिलाड़ी है, जो कॉलेज टीम के चयन के लिए हो रहे मैचों में खेलना चाहता है, लेकिन उसे मौका नहीं मिलता।
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असलम और उसके दोस्त दामोदर का मजाक उड़ाते हैं और उसे खेलने से रोकते हैं, लेकिन दामोदर हार नहीं मानता और लगातार अभ्यास करता है।
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एक मैच के दौरान, जब एक खिलाड़ी चोटिल हो जाता है, तो खेल अध्यापक दामोदर को खेलने का मौका देते हैं।
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दामोदर ने अपनी मेहनत और कौशल से मैदान में प्रभावशाली प्रदर्शन किया और अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण गोल किया।
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दामोदर का खेल देखकर सभी साथी खिलाड़ी और खेल अध्यापक उसकी प्रशंसा करते हैं और उसे टीम में अतिरिक्त खिलाड़ी के रूप में शामिल किया जाता है।
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जिलास्तरीय प्रतियोगिता में दामोदर की टीम फाइनल तक पहुंचती है, लेकिन उसे खेलने का मौका नहीं मिलता।
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फाइनल मैच में, जब विरोधी टीम ने शुरुआती गोल किया, तो दामोदर को मैदान में बुलाया गया और उसने शानदार खेल दिखाते हुए गोल किया।
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दामोदर के गोल ने टीम को मुकाबले में वापस ला दिया और अंततः उनकी टीम ने मैच जीत लिया।
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दामोदर जानता है कि उसकी सफलता का कारण उसका नियमित अभ्यास है, जिसने उसे इतना अच्छा खिलाड़ी बनाया।
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कहानी बताती है कि मेहनत और समर्पण के साथ किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।
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