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एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवन चला रहे थे और एक दिन वे गांव के बड़े सेठ के पास भिक्षा मांगने पहुंचे।
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सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया और एक प्रश्न पूछा कि लोग लड़ाई झगड़ा क्यों करते हैं।
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संत ने कुछ देर चुप रहकर कहा कि वे यहां भिक्षा लेने आए हैं, मूर्खतापूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं।
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संत के इस कथन पर सेठ को गुस्सा आ गया और उसने संत पर चिल्लाना शुरू कर दिया।
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कुछ समय बाद, जब सेठ का गुस्सा शांत हुआ,
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संत ने उसे समझाया कि क्रोध ही हर झगड़े का मूल कारण है।
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इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि क्रोध के नियंत्रण में रहने से झगड़े टाले जा सकते हैं।
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यह कहानी बताती है कि संयम और समझदारी से कैसे झगड़ों को रोका जा सकता है।
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क्रोध ही हर झगड़े का मूल कारण है!” सेठ ने संत का मंतव्य समझते हुए मुस्कुराकर जवाब दिया और संत को भिक्षा के साथ बहुत से उपहार देकर विदा किया
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