Moral Story: बैंकर और भिखारी

May 28, 2025, 12:59 PM

बैंकर और भिखारी

एक गांव में एक अमीर बैंकर और एक गरीब भिखारी रहते थे। बैंकर के पास बहुत पैसा था, लेकिन भिखारी के पास खुशी थी।

बैंकर और भिखारी

भिखारी हमेशा खुशी से रहता था और चैन की नींद सोता था, जबकि बैंकर को अक्सर चिंता रहती थी और वह रात को ठीक से सो नहीं पाता था।

बैंकर और भिखारी

बैंकर को यह समझ नहीं आता था कि गरीबी के बावजूद भिखारी इतना खुश कैसे रह सकता है, इसलिए उसने भिखारी को अपने घर बुलाया।

बैंकर और भिखारी

बैंकर ने भिखारी से उसकी कमाई के बारे में पूछा। भिखारी ने बताया कि वह अपनी जरूरत के हिसाब से कमा लेता है और पैसे की ज्यादा परवाह नहीं करता।

बैंकर और भिखारी

बैंकर ने भिखारी को सौ सोने के सिक्कों का एक बैग दिया, जो भिखारी के लिए बहुत बड़ी दौलत थी।

बैंकर और भिखारी

भिखारी ने सिक्कों को अपने घर के एक कोने में गड्ढा खोदकर छुपा दिया, लेकिन इसके बाद वह सिक्कों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहने लगा।

बैंकर और भिखारी

सिक्कों की चिंता के कारण भिखारी की नींद और खुशी छिन गई। उसने महसूस किया कि अधिक पैसे होने से उसकी शांति चली गई है।

बैंकर और भिखारी

आखिरकार, भिखारी ने सिक्के बैंकर को वापस कर दिए और समझ गया कि पैसा चिंता का सबसे बड़ा कारण होता है।

बैंकर और भिखारी

इस घटना से बैंकर ने भी सीखा कि खुशी और संतोष पैसे से नहीं खरीदा जा सकता।