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एक गांव में एक अमीर बैंकर और एक गरीब भिखारी रहते थे। बैंकर के पास बहुत पैसा था, लेकिन भिखारी के पास खुशी थी।
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भिखारी हमेशा खुशी से रहता था और चैन की नींद सोता था, जबकि बैंकर को अक्सर चिंता रहती थी और वह रात को ठीक से सो नहीं पाता था।
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बैंकर को यह समझ नहीं आता था कि गरीबी के बावजूद भिखारी इतना खुश कैसे रह सकता है, इसलिए उसने भिखारी को अपने घर बुलाया।
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बैंकर ने भिखारी से उसकी कमाई के बारे में पूछा। भिखारी ने बताया कि वह अपनी जरूरत के हिसाब से कमा लेता है और पैसे की ज्यादा परवाह नहीं करता।
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बैंकर ने भिखारी को सौ सोने के सिक्कों का एक बैग दिया, जो भिखारी के लिए बहुत बड़ी दौलत थी।
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भिखारी ने सिक्कों को अपने घर के एक कोने में गड्ढा खोदकर छुपा दिया, लेकिन इसके बाद वह सिक्कों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहने लगा।
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सिक्कों की चिंता के कारण भिखारी की नींद और खुशी छिन गई। उसने महसूस किया कि अधिक पैसे होने से उसकी शांति चली गई है।
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आखिरकार, भिखारी ने सिक्के बैंकर को वापस कर दिए और समझ गया कि पैसा चिंता का सबसे बड़ा कारण होता है।
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इस घटना से बैंकर ने भी सीखा कि खुशी और संतोष पैसे से नहीं खरीदा जा सकता।
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