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सुंदर वन में मौसम अनिश्चित था, जिससे जानवर और पक्षी चिंतित थे। इसी वन में एक मादा तोते ने दो अंडे दिए, जिनसे दो बच्चे निकले।
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एक आंधी के कारण दोनों तोते के बच्चे अलग हो गए। एक बच्चा आश्रम में पहुंच गया और दूसरा चोरों के बीच।
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कुछ समय बाद, राजा शिकार करते हुए चोरों के खंडहर में पहुंचा, जहां चोरों के साथ रहने वाला तोता राहगीरों को लूटने के लिए उकसाने लगा।
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राजा ने चोरों के पास रहने वाले तोते की धृष्टता देखी और वहां से आगे बढ़ गया, जहां वह आश्रम में रहने वाले दूसरे तोते से मिला।
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आश्रम के तोते ने राजा का मधुर वाणी में स्वागत किया, जिससे राजा प्रभावित हुआ और दोनों तोतों के व्यवहार में अंतर को समझा।
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आश्रम के तोते ने बताया कि दोनों सगे भाई हैं, लेकिन अलग-अलग संगति के कारण उनके व्यवहार में फर्क आ गया।
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कहानी का नैतिक यह है कि संगति का असर गहरा होता है;
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अच्छी संगति अच्छे संस्कार देती है, जबकि बुरी संगति बुरा प्रभाव डालती है।
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यह कहानी बच्चों को संगति के महत्व और उसके प्रभाव को सरल तरीके से समझाने का प्रयास करती है।
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