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गाँव में रहने वाला रमन नामक एक छोटा लड़का बहुत शरारती और जिद्दी था, जो दूसरों को परेशान करने में मज़ा लेता था और माता-पिता की बात नहीं मानता था।
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रमन के स्कूल में महात्मा गांधी के जीवन पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां गांधीजी के अहिंसा और सच्चाई के सिद्धांतों के बारे में बताया गया।
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गांधीजी की महानता के बारे में जानकर रमन ने अपने शिक्षक से पूछा कि वे इतने महान कैसे बने, और शिक्षक ने बताया कि गांधीजी ने अच्छे कर्म और अहिंसा का पालन किया।
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रमन ने गांधीजी के सिद्धांतों से प्रेरित होकर अच्छे कर्म करने का फैसला किया और अपने व्यवहार में बदलाव लाना शुरू किया।
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उसने दूसरों की मदद करना शुरू किया और अपने माता-पिता की बात मानने लगा, जिससे उसके व्यवहार में सुधार हुआ।
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रमन ने एक दिन अपने दोस्त राजू की मदद की, जिसके पिता बीमार थे और दवाई खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। रमन ने अपने पिग्गी बैंक से पैसे देकर मदद की।
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राजू के पिता ठीक हो गए और रमन को एहसास हुआ कि उसके अच्छे कर्म का फल उसे मिल गया है, जिससे उसे आंतरिक शांति और संतुष्टि मिली।
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कहानी का सार यह है कि अच्छे कर्म करने से हमें अच्छा फल मिलता है और महात्मा गांधी के सिद्धांतों से सीखने को मिलता है
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कि सच्चाई और अहिंसा से न केवल दूसरों को खुशी मिलती है, बल्कि हमारे जीवन को भी सार्थक बनाता है।
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