Moral Story: व्यर्थ का घमण्ड

Jun 11, 2025, 11:46 AM

व्यर्थ का घमण्ड

विश्व विजेता सिकन्दर अपनी विशाल सेना के साथ ईरान को जीत कर अभिमान से आगे बढ़ रहा था, और सड़कों पर हजारों लोग उसकी दया दृष्टि के लिए खड़े थे।

व्यर्थ का घमण्ड

सिकन्दर को विश्वास था कि सब लोग उसकी प्रशंसा करेंगे, लेकिन संतों की एक टोली ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया, जिससे उसे अपमान महसूस हुआ।

व्यर्थ का घमण्ड

सिकन्दर ने संतों को बुलवाकर उनके अभिमान का कारण पूछा, और एक वृद्ध संत ने निडरता से उत्तर दिया कि सिकन्दर का अभिमान मिथ्या है।

व्यर्थ का घमण्ड

संत ने सिकन्दर को बताया कि उसकी तृष्णा और अहंकार उसे भ्रमित कर रहे हैं, और संतों की दृष्टि में वह एक छोटा व्यक्ति है।

व्यर्थ का घमण्ड

इस सत्य से सिकन्दर का घमण्ड चूर-चूर हो गया, और उसे अपनी तुच्छता का अहसास हुआ।

व्यर्थ का घमण्ड

सिकन्दर ने अपनी गलती स्वीकार की और संतों को मुक्त कर दिया, और वे आगे बढ़ गए।

व्यर्थ का घमण्ड

यह कहानी सिकन्दर के मिथ्या वैभव और संतों की सच्ची विनम्रता को दर्शाती है।

व्यर्थ का घमण्ड

कहानी का मुख्य संदेश यह है कि अहंकार से बड़ा कोई शत्रु नहीं होता

व्यर्थ का घमण्ड

और विनम्रता ही सच्ची महानता है।