Read Full Story
कहानी में एक गुरूजी अपने गुरूकुल में बच्चों को शिक्षा देते थे, जहां सभी घरों के बच्चे पढ़ते थे। शिष्यों की शिक्षा पूर्ण होने पर वे घर लौटने की तैयारी कर रहे थे।
Read Full Story
गुरूजी ने शिष्यों से कहा कि जाने से पहले उन्हें एक बाधा दौड़ में हिस्सा लेना होगा, जिसमें कूदना, पानी में दौड़ना और एक अंधेरी सुरंग से गुजरना शामिल था।
Read Full Story
दौड़ शुरू होते ही सभी बच्चे तेजी से भागे और विभिन्न बाधाओं को पार करते हुए सुरंग तक पहुंचे, जहां अंधेरा और नुकीले पत्थर थे, जिससे चलना भी मुश्किल हो रहा था।
Read Full Story
सुरंग में सभी छात्रों का व्यवहार अलग-अलग था; कुछ ने दूसरों को धक्का देकर आगे बढ़ने की कोशिश की, जबकि कुछ ने सावधानी से आगे बढ़ने का प्रयास किया।
Read Full Story
कुछ छात्रों ने रास्ते में पड़े पत्थरों को उठाकर अपनी जेब में रखा ताकि बाद में आने वाले लोगों को चोट न लगे, जिससे वे दौड़ में देरी से पहुंचे।
Read Full Story
गुरूजी ने पत्थर उठाने वाले छात्रों से पत्थर दिखाने को कहा और पता चला कि वे पत्थर असल में बहुमूल्य हीरे थे।
Read Full Story
गुरूजी ने बताया कि ये हीरे उनकी ओर से उन शिष्यों के लिए उपहार थे, जिन्होंने दूसरों के विषय में सोचा।
Read Full Story
कहानी का संदेश है कि जीवन की भागम-भाग में वही व्यक्ति सबसे समृद्ध होता है,
Read Full Story
जो दूसरों के भले के बारे में सोचता है और उनके लिए कुछ करता है।
Read Full Story