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एक अमीर आदमी अपने बेटे की बुरी आदत से बहुत परेशान था, जो हर बार कहता कि वह धीरे-धीरे आदत छोड़ देगा।
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आदमी ने एक महात्मा से मदद मांगी, जिन्होंने बेटे को एक बगीचे में लाने के लिए कहा।
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महात्मा ने बेटे को छोटे पौधों को उखाड़ने के लिए कहा, जो उसने आसानी से कर लिया।
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फिर महात्मा ने थोड़े बड़े पौधे उखाड़ने को कहा, जिसमें बेटे को थोड़ा मेहनत करनी पड़ी।
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अंत में, महात्मा ने एक गुडहल के बड़े पेड़ को उखाड़ने के लिए कहा, जो बेटे के लिए असंभव था।
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महात्मा ने समझाया कि बुरी आदतें भी ऐसे ही होती हैं; नई होती हैं तो छोड़ना आसान होता है, लेकिन पुरानी होने पर मुश्किल।
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बेटे ने यह बात समझी और अपनी बुरी आदत छोड़ने का संकल्प किया।
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इस कहानी का संदेश है कि बुरी आदतों को समय रहते ही छोड़ना चाहिए,
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वरना वे जड़ पकड़ लेती हैं।
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