Moral Story: नकलची

Jun 10, 2025, 12:33 PM

नकलची

सुरेश एक गांव में अपने परिवार के साथ रहता था और पढ़ाई में कमजोर था, लेकिन वह खुद को बहुत बुद्धिमान समझता था और दूसरों की नकल करने की आदत रखता था।

नकलची

गांव के स्कूल में, वह छोटे बच्चों के साथ पढ़ता था और गांव के कपड़े पहनने वाले बच्चों को गंवार समझता था। सुरेश शहर के कपड़े पहनने की जिद करता था, लेकिन घर वाले मना कर देते थे।

नकलची

एक बार सुरेश अपने मामा के साथ शहर गया और वहां के कपड़ों और रौनक से प्रभावित हुआ। मामा ने उसे एक पैंट-शर्ट दिलाई, लेकिन वह संतुष्ट नहीं हुआ और मामी से कपड़े मांग लिए।

नकलची

गांव लौटकर सुरेश शहर वाले कपड़े पहनकर बच्चों के बीच घूमने लगा, जिससे बच्चे प्रभावित हुए लेकिन कुछ जलते भी थे।

नकलची

सुरेश की नकलची आदत के कारण, उसके दोस्त राजू ने उसकी टोपी में लकड़ी फंसा दी, जिससे बच्चे उसे "बैंगन राजा" कहकर चिढ़ाने लगे।

नकलची

सुरेश को यह बात समझ नहीं आई और उसने और भी रंग-बिरंगे कपड़े पहन लिए, जिससे बच्चे उसे "विणयी विश्व तिरंगा प्यारा" कहकर चिढ़ाने लगे।

नकलची

सुरेश की मां ने उसे समझाया कि उसे जहां रहता है, वहां के हिसाब से ही कपड़े पहनने चाहिए।

नकलची

सुरेश ने अंततः अपनी गलती समझी और गांव के कपड़े पहनने लगा।

नकलची

हालांकि, बच्चे उसे "फटा झंडा" कहकर चिढ़ाते रहे, लेकिन सुरेश ने अब शहर की नकल छोड़ दी।