Moral Story: बुद्धिमान व्यापारी

Jun 11, 2025, 12:38 PM

बुद्धिमान व्यापारी

एक गरीब मजदूर उत्तर भारत के एक गांव में रहता था, जो घने जंगलों और पहाड़ों के किनारे बसा हुआ था। डाकू अक्सर इस गांव पर हमला करते थे और लोगों की संपत्ति लूट लेते थे।

बुद्धिमान व्यापारी

एक व्यापारी रात के समय गांव पहुंचा और मजदूर के घर में रात बिताने की अनुमति मांगी। मजदूर ने अपने घर में अतिथि का स्वागत किया और उसे भोजन व सोने की व्यवस्था की।

बुद्धिमान व्यापारी

आधी रात को डाकुओं ने गांव पर हमला कर दिया। मजदूर ने अपनी बेटी की शादी के लिए बचाए 500 रुपये की चिंता जताई और व्यापारी से सलाह मांगी।

बुद्धिमान व्यापारी

व्यापारी ने सुझाव दिया कि मजदूर अपने धन की पोटली को गड्ढे में छुपा दे। मजदूर ने ऐसा ही किया।

बुद्धिमान व्यापारी

डाकू मजदूर के घर में घुस आए और सारा धन देने को कहा। व्यापारी ने चालाकी से डाकुओं को पोटली का स्थान बताया, जिससे उनका ध्यान उस ओर आकर्षित हुआ।

बुद्धिमान व्यापारी

डाकुओं ने मजदूर की पोटली ले ली और चले गए। मजदूर ने सोचा कि व्यापारी डाकुओं का साथी है, परंतु व्यापारी ने डाकुओं के साथ नहीं गया।

बुद्धिमान व्यापारी

व्यापारी ने समझाया कि उसने ऐसा करके अपने धन को भी बचाया क्योंकि डाकुओं की तलाशी में उसकी पोटली भी मिल सकती थी।

बुद्धिमान व्यापारी

व्यापारी ने मजदूर को 600 रुपये दिए, जिसमें 500 उसकी बेटी की शादी के लिए और 101 उसकी ओर से उपहार स्वरूप थे।

बुद्धिमान व्यापारी

कहानी की सीख यह है कि कठिन समय में भी होशियारी से काम लिया जाए तो इंसान न केवल खुद को बल्कि दूसरों को भी मुश्किल से निकाल सकता है।