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कहानी का शीर्षक "खुद को पहचानो" है, जिसमें स्वामी विवेकानंद के आश्रम में आए एक व्यक्ति की कहानी बताई गई है।
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व्यक्ति स्वामी जी से अपनी जीवन की असफलताओं के बारे में शिकायत करता है, हालांकि वह मेहनत और लगन से काम करता है।
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स्वामी विवेकानंद व्यक्ति की परेशानी को समझते हुए उसे अपने पालतू कुत्ते के साथ सैर पर जाने के लिए कहते हैं।
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सैर से लौटने के बाद, व्यक्ति थका हुआ नहीं दिखता, जबकि कुत्ता बहुत थक जाता है।
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स्वामी जी इस स्थिति का उपयोग व्यक्ति को समझाने के लिए करते हैं कि वह दूसरों के पीछे भागने के कारण थकान महसूस करता है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि हमें अपनी मंज़िल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए,
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बजाय दूसरों के पीछे भागने के।
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स्वामी विवेकानंद व्यक्ति को सलाह देते हैं कि वह खुद को पहचाने और दूसरों से होड़ न करे।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि सफलता की राह में हमें अपनी गति बनाए रखनी चाहिए और दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए।
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