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एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा जी के पास गाँव आता है और उनसे सफल होने के टिप्स मांगता है।
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दादा जी उसे पौधों के माध्यम से एक महत्वपूर्ण सबक सिखाने का निर्णय लेते हैं और दो पौधे खरीदते हैं, एक को घर के अंदर और दूसरे को बाहर लगाते हैं।
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लड़का सोचता है कि अंदर वाला पौधा सुरक्षित है और इसलिए अधिक सफल होगा, जबकि बाहर वाले पौधे को कई खतरों का सामना करना पड़ेगा।
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कुछ सालों बाद, जब लड़का फिर से गाँव आता है, तो दोनों पौधों का विकास देखकर हैरान रह जाता है।
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अंदर वाला पौधा एक खूबसूरत पेड़ बन चुका है, लेकिन बाहर वाला पौधा एक विशाल वृक्ष बन चुका है जिसकी शाखाएं दूर तक फैली हैं।
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दादा जी बताते हैं कि बाहर वाले पौधे ने खतरों का सामना किया और इसीलिए उसने अधिक स्वतंत्रता और विस्तार पाया।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि चैलेंज फेस करने के अपने रिवार्ड होते हैं, और सुरक्षित विकल्प हमेशा अधिक ग्रोथ नहीं दे सकते।
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लड़का समझता है कि असली सफलता तब मिलती है जब हम चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं
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और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करते हैं।
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