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एक छोटा लड़का नदी के पास नीम के पेड़ के नीचे बैठा था, स्कूल से वापस आने के बाद वह उदास था क्योंकि उसका रिपोर्ट कार्ड खराब था।
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लड़का अपने खराब परिणाम के बारे में सोचकर चिंतित था, उसे डर था कि उसकी माँ निराश होंगी और शायद गुस्सा भी करेंगी।
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लड़के की आँखों में आँसू थे और वह सोच रहा था कि अपनी माँ को परिणाम के बारे में न बताना ही ठीक रहेगा।
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तभी एक जादुई कछुआ लड़के के पास आया और उसने लड़के को अपनी माँ से सच बोलने और अगली बार मेहनत करके अच्छे अंक लाने की सलाह दी।
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लड़का कछुए की बातों से आश्चर्यचकित और प्रभावित हुआ, क्योंकि वह कछुआ इंसानों की तरह बातें कर रहा था।
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कछुए ने लड़के को सुझाव दिया कि वह रोज़ स्कूल से लौटते समय उसे अपनी किताब पढ़कर सुनाए और वह उसकी पढ़ाई में मदद करेगा।
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कछुए ने कहा कि उसे बांसुरी सुनना पसंद है और लड़के को बांसुरी बजानी आती है, जिससे लड़का खुश हुआ।
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लड़के ने कछुए का शुक्रिया अदा किया और वादा किया कि वह अपनी माँ को सच बताएगा और मेहनत करके अच्छे अंक लाएगा।
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कछुए ने लड़के को सही रास्ता दिखाया और बताया कि उसका नाम कदम है, जिससे लड़का भी अपना नाम गणेश बताता है।
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इस तरह, जादुई कछुए ने लड़के को सच्चाई और मेहनत का महत्व समझाया।
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