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चमनपुर गांव में सुखिया नाम का एक कुम्हार रहता था, जिसका परिवार उसके गधे पर निर्भर था, क्योंकि वह गधा ही गाँव के व्यापारियों का सामान लाने और ले जाने का साधन था।
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एक रात, एक चोर ने सुखिया के गधे को चुरा लिया। जब सुखिया ने सुबह गधे को गायब पाया, तो वह बहुत दुखी हुआ और रोने लगा।
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सुखिया की परिस्थिति देखकर गांव वालों ने उसके लिए चंदा इकट्ठा किया और उसे नया गधा खरीदने के लिए पैसे दिए।
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सुखिया पशु मंडी में नया गधा खरीदने गया, जहां उसने अपना चोरी हुआ गधा देखा, जिसे एक व्यक्ति बेच रहा था।
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सुखिया ने उस व्यक्ति से कहा कि गधा उसका है और उसे बेचने नहीं देगा। विवाद बढ़ने पर कोतवाल को बुलाया गया।
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अपने दावे को साबित करने के लिए, सुखिया ने गधे की आंख पर पट्टी बांधकर कहा कि उसका गधा एक आंख से अंधा है और चोर से पूछा कि कौन सी आंख अंधी है।
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चोर ने गलत जवाब दिया, जिससे साबित हो गया कि गधा सुखिया का ही था।
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कोतवाल ने चोर को गिरफ्तार कर लिया और सुखिया को उसका गधा वापस मिल गया।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि चतुराई और समझदारी से काम लेने पर समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है।
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