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प्रदीप की मां ने रामू को बाजार से सामान लाने के लिए पैसे और थैला दिया। रामू एक 15-16 वर्षीय किशोर था जो बचपन से ही उनके घर में काम करता था।
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बाजार से लौटते समय, रामू ने प्रदीप को सिनेमाघर के सामने अपने दोस्तों के साथ देखा। प्रदीप स्कूल की ड्रेस में था और अपने दोस्तों के साथ मटरगश्ती कर रहा था।
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रामू ने प्रदीप को चेतावनी दी कि अगर उसकी मां को पता चल गया कि वह स्कूल से भागकर फिल्म देखने आया है, तो वह नाराज होंगी। प्रदीप ने वादा किया कि वह अब ऐसा नहीं करेगा।
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प्रदीप अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और उसकी हर मांग पूरी की जाती थी। उसके माता-पिता नौकरी में व्यस्त रहते थे, जिससे वह आवारागर्दी करने लगा था।
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एक दिन प्रदीप के पिता का बटुआ गायब हो गया। जब उन्होंने प्रदीप से पूछा, तो उसने इंकार कर दिया। रामू ने खुद पर चोरी का इल्जाम लिया, लेकिन प्रदीप ने उसे ही चोर साबित करने की कोशिश की।
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प्रदीप के पिता ने उसे थप्पड़ मारा और बताया कि उन्होंने खुद उसे बटुआ चुराते देखा था। प्रदीप ने झूठ बोलकर रामू को फंसाने की कोशिश की थी।
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प्रदीप ने अपनी गलती स्वीकार की और रामू से माफी मांगी। उसने वादा किया कि वह अब कोई गलत काम नहीं करेगा और अच्छा बच्चा बनेगा।
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रामू ने खुशी-खुशी प्रदीप को माफ कर दिया और दोनों ने गले लगाया।
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यह देखकर प्रदीप के माता-पिता भी मुस्कुराने लगे।
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