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एक गांव में एक किसान अपनी सुंदर बेटी के साथ रहता था, जिसने गांव के जमींदार से काफी धन उधार लिया था।
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जमींदार, जो उम्रदराज था, किसान की बेटी से शादी करना चाहता था और इसके बदले किसान का कर्ज माफ करने का प्रस्ताव रखा।
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किसान और उसकी बेटी इस प्रस्ताव से हैरान थे और उन्होंने पंचायत से मदद मांगी, जिसने किस्मत के आधार पर फैसला करने का सुझाव दिया।
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पंचायत ने दो पत्थरों का खेल सुझाया: एक काला और एक सफेद। सफेद पत्थर उठाने पर कर्ज माफ हो जाएगा और शादी नहीं करनी पड़ेगी; काला पत्थर उठाने पर शादी करनी होगी।
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जमींदार ने धोखे से दोनों काले पत्थर थैले में डाल दिए, लेकिन लड़की ने सूझबूझ से काम लिया।
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लड़की ने पत्थर उठाने का नाटक किया और उसे हाथ से गिरा दिया, जिससे उसका रंग नहीं देखा जा सका।
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उसने सुझाया कि थैले में बचे पत्थर को देखकर समझा जाए कि उसने कौन सा पत्थर उठाया था।
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थैले में काला पत्थर बचा था, जिससे साबित हुआ कि लड़की ने सफेद पत्थर उठाया था, और इस तरह उसका कर्ज माफ हो गया और उसे शादी भी नहीं करनी पड़ी।
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इस कहानी से सीख मिलती है कि जब सब कुछ धुंधला लगे, तो सूझबूझ से मुश्किलों का हल निकाला जा सकता है।
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