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एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का लड़का रहता था, जो अपनी ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध था। वह अपने पिता के साथ खेती करता और फुरसत में फल बेचता था।
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एक दिन मोहन को खेत में एक सोने का बर्तन मिला, जिसके पास एक सांप था। मोहन ने ईमानदारी दिखाते हुए बर्तन को वापस रखने की बात कही।
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सांप ने मोहन की ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे हर दिन एक सोने का सिक्का देने का वादा किया, लेकिन लालच न करने की चेतावनी दी।
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मोहन ने सांप की बात मानते हुए हर दिन एक सिक्का लिया और अपने माता-पिता को दिया, जिससे उनका घर खुशहाल होने लगा।
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मोहन का पड़ोसी रघु, मोहन की खुशहाली देखकर जलने लगा और उसने सारे सिक्के एक साथ लेने की योजना बनाई।
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रघु ने लालच में आकर सांप से सारे सिक्के एक बार में माँगे और सांप को मारने की कोशिश की, जिससे सांप ने उसे डस लिया।
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रघु को उसके लालच का खामियाजा भुगतना पड़ा और उसने अपने किए पर पछतावा किया।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि ईमानदारी और धैर्य से सफलता और खुशहाली मिलती है,
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जबकि लालच केवल हानि का कारण बनता है।
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