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एक किसान के दो बेटे थे, रमन और हरीश। रमन को पढ़ाई से प्यार था, जबकि हरीश को इससे नफरत थी और वह शरारतों में लगा रहता था।
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हरीश हमेशा अपने पास डंडा रखता था और दूसरों को पीटता था, जिससे स्कूल के बच्चे उसे पसंद नहीं करते थे, जबकि रमन को सभी पसंद करते थे।
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एक दिन मास्टर जी बच्चों को बगीचे में ले गए, जहाँ माली ने अमरूद के पेड़ पर डंडे से मारकर फल गिराए।
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मास्टर जी ने रमन से पूछा कि उसने क्या देखा। रमन ने कहा कि अच्छे लोग दुख सहकर भी दूसरों को खुशियाँ देते हैं, जैसे पेड़ डंडे खाकर भी फल देता है।
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हरीश ने कहा कि लोगों पर दबदबा जमाकर ही सुखी हुआ जा सकता है, जैसे बिना डंडे के पेड़ से फल नहीं मिलते।
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मास्टर जी ने दोनों भाईयों के विचार सुने और किसान से कहा कि रमन एक दिन नाम रोशन करेगा,
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जबकि हरीश से ऐसी उम्मीद बेकार है।
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मास्टर जी की बात सच साबित हुई; रमन बड़ा होकर मशहूर डॉक्टर बना और हरीश एक मामूली क्लर्क।
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कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में सकारात्मक सोच और दूसरों की भलाई का महत्व होता है।
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